Saturday, January 29, 2011

इश्क में होश नहीं है

इश्क में होश नहीं है
की कहाँ पे हूँ मैं
या तो है चाँद जमीन पे
या आसमान में हूँ मैं
इश्क में होश नहीं है

मुझको मालुम नहीं दिन कब निकलता है
मुझको मालुम नहीं रात कैसे ढलती है
ये सुबह शाम है क्या कुछ पता ही नहीं
ज़िन्दगी ख्वाबो में निकलती है
मुझको छुते हैं सितारे ये किस जगह पे हूँ मैं
या तो है चाँद जमीन पे
या आसमान में हूँ मैं

दिल किसी दर्द किसी ग़म से वाकिफ ही नहीं
मैं शिकायत भी करूँ तो ये वाजिब ही नहीं
मैं जहाँ हूँ बस वही मंजिल
माना किसी शर्त पे वापिस ही नहीं
ज़र्रे ज़र्रे में इश्क है हाँ उस जहां में हूँ मैं
या तो है चाँद जमीन पे
या आसमान में हूँ मैं
इश्क में होश नहीं है
की कहाँ पे हूँ मैं.......................

Wednesday, January 26, 2011

तेरे प्यार में

तेरी हर एक मुस्कान के कायल हैं हम
तेरी हर ख़ुशी के लिए पागल हैं हम
कैसे कह दें ज़माने से कि तेरे प्यार में पागल हैं हम
ये ज़माने वाले तो कहते हैं कि दीवाने हैं हम |

ज़माने के डर से प्यार कम नहीं करेंगे हम
जमाना चाहे कुछ भी कहे प्यार करते रहेंगे हम
बस तुम मेरे साथ रहना ऐ हसीं
तुम साथ रहीं तो ज़माने से लड़ लेंगे हम |

तुम जो ना होती तो कहाँ दिल लगाते हम
दिल की बगिया सूनी रहती और अकेले रहते हम
तुम मिल गयी हो तो मिल गया है ये जहां
दिल की बगिया भी भर गयी खुश्बू से
और आबाद हो गए हम |

प्रेम

प्रेम
ऊपर देखो तो आकाश सा विशाल
नीचे देखो तो धरा सा सहनशील
चलो तो मार्गदर्शन करे
पा जाओ तो मंजिल सा लगे
दूसरों को जान सको या
किसी के दिल में बस सको तो वो है प्रेम

अब मेरी अपनी प्रेम कहानी मेरी जुबानी....
वो पहली बार का मिलना
उसके चेहरे पर एक अनजानी सी परेशानी
मेरे दिल में थी उसकी कोई निशानी
फिर फिर याद आई वो बचपन कहानी
साथ में खेलना
छोटी छोटी बातों पर रूठना
फिर अचानक से हंस देना
फिर फिर याद आई वो बचपन कहानी
फिर उससे बढा मिलना जुलना
नजदीकियों का और बढ़ना
निगाहों का मिलना और
हौले से दिल का धड़कना
शायद यही है प्रेम.......