Saturday, February 5, 2011


मैंने तो बहुत चाहा मगर वो मिला ही नहीं,
लाख कोशिश की मगर फासला मिटा ही नहीं,
उसको मजबूर ज़माने ने इस कदर कर दिया कि,
मेरी किसी सदा पर वो ठहरा ही नहीं,
खुदा से झोली फैला के माँगा था उसे,
...खुदा ने मेरी किसी दुआ को सुना ही नहीं,
हर एक
से पुछा सबब उसके ना मिलने का,
हर एक ने कहा वो तेरे लिए बना ही नहीं..........

2 comments:

  1. खूबसूरत से एहसास..!
    शायद ये शब्दों का ही हेर फेर होगा..
    थोड़ा समझना चाहूंगी..

    "हर एक पुचा सबब उसके ना मिलाने का
    हर एक ने कहा वो तेरे लिए बना ही नहीं ...."



    अगर मैं गलत हूँ तो मुझे माफ़ करेंगे...

    (हर एक ने पूछा सबब उसके ना मिलाने का
    हर एक ने कहा वो तेरे लिए बना ही नहीं ....")

    ग़ज़ल के भाव वाकई में खूबसूरत हैं...

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  2. maaf kijiyega wahan पूछा hi hoga...typing mistake hai..main sudhar kar leta hoon

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